असत्य के साथ धर्म को मत जोड़ो - ओशो
असत्य के साथ धर्म को मत जोड़ो - ओशो कुछ चमत्कारों की भी घटनाएं वावा मलूकदास के संबंध में जुड़ी हैं। वैसी घटनाएं क रीव-करीव अनेक संतों के ...
असत्य के साथ धर्म को मत जोड़ो - ओशो कुछ चमत्कारों की भी घटनाएं वावा मलूकदास के संबंध में जुड़ी हैं। वैसी घटनाएं क रीव-करीव अनेक संतों के ...
जिसको पाने की आकांक्षा है, उसका त्याग झूठा है -ओशो हम है चालबाज, हम है होशियार। होशियारी ही हमारी डुबा रही है। हमारी होशियारी ही हमारी फा...
मलूकदास ने जीवन भर लोगो के जीवन से कांटे बीने - ओशो मलूकदास के जीवन के संबंध में कुछ थोड़ी ही बातें ज्ञात हैं। वे प्रतीकात्मक हैं। समझ ले...
इस दुनिया का गणित वहुत अद्भुत है- ओशो एक सम्राट लौटता था अपने घर-सारी दुनिया की विजययात्रा करके। उसकी सौ रानि यां थी। उसने खवर भेजी कि जि...
सही और गलत, सब कुछ निर्भर करता है भीतर की अभीप्सा पर- ओशो यह तो बचपन की पहली घटना मलूकदास के संबंध में ज्ञात है कि वे कूड़ा-कचरा राम् तों...
जहां हिंदू है, जहां मुसलमान है, जहां ईसाई है, वहां धर्म कहाँ है?- ओशो मैंने तो सुना है, जव जुगलकिशोर बिड़ला मरे.. मेरे परिचित थे। मुझसे भ...
पुकार सच्ची होगी तो एक ही बार में पहुंच जाएगी - ओशो बंगाल में एक बहुत बड़ा वैयाकरण हुआ। कभी मंदिर नहीं गया। उसके पिता बूढ़े होने लगे थे, नब...
मृत्यु में समाधि का फूल खिलता है- ओशो "इसलिए मैं निरंतर कहता हूं कि मेरे संन्यासी को जुआरी होने की क्षमता चाहिए, साहस चाहिए। अहंकार क...
मेरे संन्यास की नव धारणा - ओशो मैं उस संन्यास के पक्ष में नहीं हूं। मेरे संन्यास की नव धारणा है। नया प्रत्यय है मेरा संन्यास । जहां हो, ज...
भौतिकवाद और आध्यात्मवाद विपरीत नहीं हैं - ओशो आत्मा और शरीर में कितना सहयोग है, गौर से देखो तो! तो भौतिकवाद और आध्यात्मवाद विपरीत नहीं हो...
भौतिकवाद आध्यात्मवाद का अनिवार्य चरण है - ओशो "पश्चिम में जहां चीजें बहुत बढ़ गई हैं उनको तुम कहते हो भौतिकवादी लोग। सिर्प इसीलिए कि उ...
कोई बुद्धिमान आदमी कभी किसी का अनुयायी नहीं बनता - ओशो जो आदमी भी किसी का अनुयायी बनता है, वह आदमी पहली तो बात है खतरनाक है, डेंजरस है। क्य...