जोरबा द बुद्ध का अर्थ
जोरबा द बुद्ध का अर्थ
प्यारे मित्रो हमारे तीन तल है. शरीर, मन और आत्मा इन तीनो की अपनी- अपनी जरूरतें है.- शरीर की जरूरत - रोटी, कपड़ा, मकान,सेक्स.
- मन की जरूरत - सुरक्षा प्रेम,मित्रता,सम्मान की आकांक्षा.
- आत्मा की जरूरत - सुमिरन {सदगुरु के द्वारा ओम्कार का ज्ञान लेकर उसके सुमिरण के साथ संसार में जीना)
इन तीनो जरूरतो'ं के प्रति अज्ञान के कारण दुःख पैदा होता है. यदि हम इन तीनो जरूरतों को पूरा कर दें. अर्थार्थ हम तीनो को लयबद्ध कर दें, तो जो स्थिति होगी वही "जोरबा द बुद्धा" है.
कामना और महत्वाकांक्षा में अंतर..
प्यारे बड़े सद्गुरु जी कहते है हमारी दृष्टि साफ़ होनी चाहिए. कामना{डिजायर} हमारी जरूरतों से पैदा होती है. महत्वाकांक्षा में हम दूसरों को आदर्श बना लेते है कामना सहज है. महत्वाकांक्षा असहज है. कामना की पूर्ति हमें लाया'बद्ध करती है. महत्वाकांक्षा हमें दुःख में ले जाती है,अंतहीन पीड़ा में ले जाती है. कामना की तृप्ति हमें गहन संतोष में ले जाती है. हम शरीर के तल की जरूरतों को खूब अच्छी तरह से पूरा करें, हमारे पास खूब धन आता रहे, हमारा स्वस्थ और सुंदर शरीर हो, सुन्दर मकान हो, अर्थार्थ हम अपनी परिधि को सुन्दर बनाये.
हम सुरक्षित हो,हम प्रेम दे सकें,प्यारे मित्रो'ं का साथ हो,हम दूस्रून को सम्मान दें, हम निरंतर सद्गुरु की कृपा और ओमकार के सुमिरण में रहते हुए क्षण-क्षण जीवन जिए'न ऐसा मनुष्य ही है ZORBA THE BUDDHA
हमारे परम सद्गुरु प्यारे ओशो का स्वप्न है,की हम सभी "जोरबा द बुद्धा" बनें.
ZORBA THE BUDDHA हमारा स्वभाव है.....
हम अपने जीवन के स्वयम रचयिता है. हम जैसा जीवन चाहें वैसा जीवन जी सकते है. हम स्वतंत्र है. हम अपने जीवन को परम ऊँचाइयों में ले जा सकते है. चाहें तो परम नीचाइयों में ले जा सकतें है. अगर आप जीवन को भीतर और बाहर दोनों से समृद्ध करना चाहतें है, तो हमारी "ओशोधारा" में प्यारे "सद्गुरु त्रिविर" से संपर्क करें .